भारत सुपर कम्प्यूटिंग के क्षेत्र में दिसंबर तक दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी ताकत बन जाएगा। कोरोना के चलते पैदा हुई लॉकडाउन की स्थिति के बाद अप्रैल के अंतिम हफ्ते तक हालात सामान्य हुए, तो आईआईटी कानपुर, जेएन सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च बेंगलुरु और आईआईटी हैदराबाद में सुपर कम्प्यूटर काम शुरू कर देंगे। यहां सुपर कम्प्यूटर तैयार हैं, बस उन्हें कमीशन किया जाना है। इससे पहले पिछले साल आईआईटी (बीएचयू) वाराणसी, आईआईटी खड़गपुर और आईआईएसईआर पुणे में तीन सुपर कम्प्यूटर लगाए गए थे।
इन छह सुपर कम्प्यूटर के बाद देश की सुपर कम्प्यूटर की क्षमता 6 पेटाफ्लॉप्स हो जाएगी। एक के आगे 15 शून्य लिखने पर जो संख्या बनती है, उसे पेटा कहा जाता है और फ्लॉप्स का अर्थ है फ्लोटिंग प्वाइंट ऑपरेशन प्रति सेकंड। यानी प्रति सेकंड एक लाख अरब ऑपरेशन एक साथ चलाने की क्षमता वाला कम्प्यूटर। मौसम, जलवायु अध्ययन, बायोइंफॉर्मेटिक्स और मटेरियल साइंस आदि के लिए गणनाओं में सुपर कम्प्यूटर इस्तेमाल होता है।
इस तरह देश में 17 सुपर कम्प्यूटर हो जाएंगे
साइंस एंड टेक्नोलॉजी सचिव आशुतोष शर्मा ने बताया कि नेशनल सुपर कम्प्यूटिंग मिशन (एनएसएम) का मकसद देश की सुपर कम्प्यूटिंग क्षमता को बढ़ाना है। पहले चरण में छह सुपर कम्प्यूटर अगले महीने काम शुरू कर देंगे। दूसरे चरण में इसी साल दिसंबर तक 11 और सुपर कम्प्यूटर आईआईटी, एनआईटी, आईआईएसईआर बेंगलुरु, नेशनल एग्री-फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट मोहाली जैसी लैब में लगेंगे। इस तरह देश में 17 सुपर कम्प्यूटर हो जाएंगे।
सुपर कम्प्यूटर के मामले में भारत विश्व में 7वें नंबर पर
देश | संख्या |
चीन | 228 |
अमेरिका | 117 |
जापान | 29 |
फ्रांस | 18 |
जर्मनी | 16 |
यूके | 11 |
भारत | 06 |
नेशनल नॉलेज मिशन से जुड़ेंगे
सभी 17 सुपर कम्प्यूटर नेशनल नॉलेज मिशन के नेटवर्क से जुड़े होंगे। देश में कहीं से भी कोई भी कम्प्यूटर ऑपरेट किया जा सकेगा। देश में डीआरडीओ, इसरो और बार्क के पास सुपर कम्प्यूटर हैं, जिन पर वे अपने काम करते हैं।